वाईफाई क्या है | what is Wifi
हेलो दोस्तों,
आज हम वाईफाई टेक्नोलॉजी के बारे में बात करेंगे. यह तकनीक इंटरनेट यूजर्स के लिए एक बहुत ही उपयोगी तकनीक साबित हुई है. कल्पना कीजिए कि अगर यह तकनीक ना होती तो आप अपने पूरे घर में कहीं पर भी बैठकर इंटरनेट का कनेक्शन न कर पाते. आपके घर में जितने भी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, उनको अपना पूरा वर्किंग सेटअप अपने राउटर के पास में ही करना पड़ता. हमारे डिवाइस के पास तारों का एक बड़ा जाल बना होता. नीचे हम इसी के बारे में विस्तार से बात करेंगे.
वाईफाई टेक्नोलॉजी का पूरा फार्म Wireless Fidelity है. इस तकनीक का आविष्कार सन 1997 में हुआ था. शुरुआती समय में इस तकनीकी स्पीड कम थी, लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा, जनरेशन टू जेनरेशन इस तकनीक ने परफॉर्मेंस में अप्रत्याशित बढ़ोतरी की. वर्तमान समय में इसकी स्पीड 300Mbps से भी ऊपर होती है.
अब हम बात करेंगे कि यह तकनीक काम कैसे करती है. इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए हमारे घर में राउटर नाम का एक डिवाइस होता है. इसमें कई सारे पोर्ट होते हैं, जिनकी सहायता से हम सीधे अपने कंप्यूटर को तार द्वारा राउटर से कनेक्ट करके इस्तेमाल कर सकते हैंकर सकते हैं. लेकिन अगर हमें वाईफाई का यूज करके इंटरनेट कनेक्ट करना है, तो इस केस में राउटर हमें इंटरनेट डाटा रेडियो wave के फॉर्म में भेजता है. जो डिवाइस हम इस्तेमाल कर रहे हैं (जैसे कि लैपटॉप, टेबलेट या स्मार्टफोन), उसमें एक सर्किट होता है जो कि इन रेडियो वेव्स को फिर से उचित डाटा सिग्नल में बदल देता है. ठीक इसी प्रकार जब हमें डाटा अपलोड करना होता है, तो हमारा डिवाइस डाटा को रेडियो वेब की शक्ल में भेजता है और राउटर उसे रिकॉर्ड करके इंटरनेट सर्वर पर भेजता है.
वाईफाई एक कम दूरी की इंटरनेट टेक्निक है. मतलब यह कि हम इसका इस्तेमाल जहां पर भी राउटर रखा है उससे 90-100 फीट की दूरी तक ही कर सकते हैं. इसकी तरंगे दीवार को भी पार कर सकती हैं. इसीलिए अगर आपका राउटर कहीं पर रखा और आप दूसरे कमरे में उसके बाद भी आप इंटरनेट का इस्तेमाल वाईफाई द्वारा कर सकते हो. इस वाईफाई की रेंज में जितने भी डिवाइस होंगे वह सब इस वाईफाई को डिटेक्ट कर लेंगे. अब जिसको भी इस राउटर के वाईफाई का पासवर्ड पता होगा वह इस वाईफाई द्वारा कनेक्ट कर सकता है. यही कारण है कि यह और भी जरूरी है कि वाईफाई सेटअप करते वक्त आप इसका पासवर्ड जरूर सेट करें.
वर्तमान समय में राउटर्स विभिन्न बैंड का वाईफाई एक साथ सपोर्ट करते हैं. उदाहरण के तौर पर वाईफाई 2.4GHz और 5Ghz. इसमें 2.4GHz की स्पीड 5Ghz से कम होती है लेकिन यह ज्यादा दूर तक के डिवाइस इसमें विजिबल होगा. वहीं पर 5Ghz कम दूरी पर अधिक तेज इंटरनेट स्पीड प्रोवाइड करता है . इसलिए जैसा कि आजकल कॉमन बात है, अगर आपके घर में कई डिवाइसेज हैं तो आप कुछ डिवाइसेज को 2.4Ghz मैं कनेक्ट करें और दूसरों को 5Ghz से कनेक्ट करें. इसके लिए जरूरी है कि जवाब राउटर खरीदें तो इसको देख लें कि वह इन दोनों बैंड को सपोर्ट करता है. यह बात ध्यान रखें कि यह संभव है की आपके सारे डिवाइसेज 5Ghz को सपोर्ट ना करते हैं. तो इस केस में आपके जो भी डिवाइस 5Ghz सपोर्ट करते हैं, आप उनको ही इससे कनेक्ट कर पाएंगे. जो डिवाइसेज राउटर के पास में रखने हैं, उनको आप 5Ghz से कनेक्ट करें.
वर्तमान समय में कई जगह में फ्री वाईफाई भी देखने को मिलता है. जैसे कि रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट इत्यादि. इससे हम अपना इंटरनेट से रिलेटेड काम वहां पर भी बैठ कर कर सकते हैं.
लैपटॉप, मोबाइल, टेबलेट आदिवासी डिवाइस होते हैं जिनमें वाईफाई चिप अंदर ही लगी होती है और यह राउटर से सिग्नल ग्रहण कर सकती है और राउटर को सिंगल भेज भी सकती है. अगर हम डेक्सटॉप खरीदते हैं तो उसके लिए हमें वाईफाई डिवाइस को डेस्कटॉप के एक यूएसबी को पोर्ट में लगाना होता है और उस के माध्यम से हम वाईफाई से कनेक्ट करते हैं.
आप अपने वाईफाई नेटवर्क को दूसरे डिवाइसेज से भी शेयर कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपने डिवाइस को (चाहे वह लैपटॉप हो, मोबाइल हो या टेबलेट हो) एक हॉटस्पॉट की तरह यूज करना पड़ेगा. जवाब अपने डिवाइस को मोबाइल हॉटस्पॉट बनाएंगे, तो आसपास स्थित दूसरे डिवाइसेज आपके डिवाइस को वाईफाई नेटवर्क में देखने लगेंगे. अगर आप उनको अपना हॉटस्पॉट पासवर्ड देते हैं, तो वह भी आपके वाईफाई नेटवर्क से कनेक्ट हो जाएंगे. हॉटस्पॉट का प्रयोग मुख्यतः पब्लिक वाईफाई नेटवर्क में ज्यादा होता है
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